पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।
वस्तु अमोलक दी मेरे सतगुरु किरपा कर अपनो नाम बतायो।।
जनम जनम की पूँजी पाई जागत खेलत सोई।
सत चित आनंद घन मेरा सो बरसा किछु न खोई।।
खरच न खुटे चोर न लेवे दिन दिन बढत सवाइए।
सत प्रतिपाली सील भंडार भरी भराई बिसराई न जाइ।।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर हरख हरख जस गाई।
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।।
यह मीरा बाई का प्रसिद्ध भजन है जो श्रीकृष्ण भक्ति का सुंदर उदाहरण है। मीरा बाई का कहना है कि उन्हें गुरु की कृपा से राम रूपी अमूल्य रत्न प्राप्त हुआ है। यह भक्ति काव्य का सर्वोत्तम उदाहरण है।
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