मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो।
भोर भयो उठत जसोदा, मैं जानत खायो।।
यह सूरदास जी का प्रसिद्ध पद है जिसमें बालक कृष्ण माता यशोदा से लड़कपन दिखाते हैं और माखन न खाने की बात कहते हैं। इस पद में सूरदास जी ने बाल लीला का आनंदमय चित्रण किया है। यह वात्सल्य रस का उत्कृष्ट उदाहरण है।
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