कबिरा खड़ा बाजार में, लेकर रोजका रोजागि।
तेजिसया वै गएएए, रहे कबीरा सोयागि।।
यह कबीरदास जी का प्रसिद्ध दोहा है जो जीवन की बदलती परिस्थितियों में आत्मिक स्थिरता और दुनियावी सबसे बेपरवाह रहने की महत्ता बताता है।
कबिरा खड़ा बाजार में, लेकर रोजका रोजागि।
तेजिसया वै गएएए, रहे कबीरा सोयागि।।
यह कबीरदास जी का प्रसिद्ध दोहा है जो जीवन की बदलती परिस्थितियों में आत्मिक स्थिरता और दुनियावी सबसे बेपरवाह रहने की महत्ता बताता है।
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