जाके प्रिय न राम बैदेही। तजिए तास कोटि वैरी सम जदपि परम सनेही।।
यह तुलसीदास जी की प्रसिद्ध चौपाई है जो श्रीराम और सीता जी के प्रेम और भक्ति की महत्ता को दर्शाती है। इसमें कहा गया है कि जो व्यक्ति श्रीराम और सीता जी को प्रिय नहीं मानता, उसे करोड़ों शत्रुओं के समान त्याग देना चाहिए, चाहे वह कितना भी प्रिय क्यों न हो।
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